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मार्च, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दीपलाना में ब्रामण

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दीपलाना में ब्रामण                    (1)    गौड़(मकड़ोलिया)               प्रेमाराम/धर्माराम मकड़ोलिया भुकरका (नोहर) से भूरास(तारानगर) से वि.स. 1915 में दीपलाना आकर बस गये l (2)      गौड़(महार्षिया)                 हरनंद महार्षिया कालवास (साहवा) से दीपलाना वि .स. 1977 में आकर बस गये l महार्षिया परिवार के पास ठाकुर जी मन्दिर की 12 बीघा जमीन है l   (3) पारीक                प.मोमनराम/तुलसीराम पारीक लगभग सन.1951 में15 z (बेरागीयावाली ढाणी) जिला श्री गंगानगर से दीपलाना आकर बस गये l इनके दो पुत्र सूरजमल जो अघ्यापक के बाद में सन.1971 से माध्यमिक स्कुल बनने तक दीपलाना में प्रधानाध्यापक के पद पर रहे व् लक्ष्मीनारायण पटवारी जो बाद में गिरदावर के पद पर रहे l इस क्षेत्र में दोनों भाइयों का स्थानान्तर...

दीपलाना में गौदारों का इतिहास

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गौदारों का इतिहास                           (1)     कानाराम/कुम्भाराम गौदारा वि.स. 1948 में बडबिराना से दीपलाना आकर बसे l (2)       गणपत राम गोदारा कणाऊँ ( भादरा ) से अपने माता पिता की मृत्यु होने के कारण 5 साल की उमर में भुवा पत्नी अर्जुनराम बेनीवाल   वि. स. 1970 में दीपलाना लेकर आई ,पालन पोषण होने के बाद यहीं बस गये l

दीपलाना में कुम्हारों का इतिहास

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दीपलाना में कुम्हारों का इतिहास (1)    सुथोड़    गोविन्दराम सुथोड़ के तीन पुत्र हुए कुम्भाराम , चेतनराम व किसनाराम l   कुम्भाराम व किसनाराम दोनों भाईयों का किसी के साथ झगड़ा होने के कारण बिंदासर(जेसलमेर) से सन. 1828 में दीपलाना आकर बस गये l  (2) नान्देवाल                पन्नालाल/पूर्णराम नान्देवाल चोबरजा (सिरसा) से विस. 1906 में अपनी सुथोडो में रिश्तेदारी व जमीन मिलने के कारण दीपलाना आकर बस गये l  (3) चांदोरा             बीरबलराम/ मामराज चांदोरा  कलाना(भादरा) से वि.स.2019 में दीपलाना अपनी रिश्तेदारी कि वजह से व जमीन मिलने के कारण यहाँ आये l  (4)   निरानियाँ                 हेतराम/जोधाराम निरानियाँ जमीन खरीद कर अपने ननिहाल दीपलाना सिरसा से सन. 1965 में आकर बस गये l 

दीपलाना में पूनियों का इतिहास

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         दीपलाना में पूनीयों का इतिहास             (1)   चोखाराम पूनिया सन.1850 में पड़ीहारा(चुरू) गाँव से दीपलाना में अपने नाना उदाराम बाबल के गौद लेने पर आकर बस गया था l    (2)    मामराज/कुशालसिंह पूनिया आपसी झगड़ा होने के कारण अपने ससुराल गौदारों में ढिंगसरा ,भट्टू(हरियाणा) से सन.1901 में दीपलाना आकर बस गये l 

दीपलाना के विशेष व्यक्ति

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अनोखा ‘खोजी’                  “ दानों बाणियो “ के नाम से पहचाने जाने वाले व्यक्ति दानाराम(आईदान) पिता हुकमचन्द चितलांगिया थे l इनके पिता राणासर(सरदारशहर) से दीपलाना आकर बस गये थे l इनका जन्म यहीं सन. 1893 में हुआ तथा प्रारम्भिक शिक्षा दीपलाना में हुई l इनके जन्म के 25 वर्ष बाद इनके पिता का देहान्त होने के कारण घर की सारी जिम्मेवारी आ गई l        एक बार गाँव भुकरका के गढ़ से ऊँटों की चोरी हो गई l चोरी पकड़ने के लिये दानाराम को बुलाया गया और तीन माह बाद ऊँटों के चोर को पकड़ लिया l इनका इतना दिमाक चलता था कि आदमी के पैरों के निशान के साथ साथ ऊंटों  के पैरों के निशानों को भी पहचान लेते थे l        एक बार दानाराम की परीक्षा लेने के लिये गाँव करोति के रहने वाले श्योकरण शर्मा  अपने पैरों व ऊँट के पैरों पर बूई बांधकर खेत से बेरी का पलूंड(टहनी) काटकर ले आये l दूसरे दिन दानाराम खेत गये तो देखा कि कोई निशान नहीं है बस एक जगह हथेली का निशान रह गया था l दूसरे साल गर्मियों मे...